Vasant Panchami in Hindi 2022 – हिंदू धर्म (Hindu Religion) में इस दिन का बहुत अधिक महत्व है। विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। आज के दिन स्त्रियां पीले वस्त्र पहनकर पूजा अर्चना करती हैं। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी के जन्मोत्सव (Birthday) के रूप में मनाते हैं।
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पौराणिक कथा : MYTHOLOGY
पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी हिंदू धर्म में इसलिए वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
प्राचीन काल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा के बाद प्रार्थना में ज्ञानवान विद्यावान होने की कामना की जाती है। इसके साथ ही कलाकारों (Artists) में इस दिन का विशेष महत्व है। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार, नृत्यकार, सभी अपने अपने उपकरणों (Equipment) की पूजा इस दिन मां सरस्वती की वंदना के साथ करते हैं।
उपनिषदों (Upanishads) की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव जी की आज्ञा से भगवान ब्रह्मा ने जीवो और मनुष्य योनि की रचना की , लेकिन अपनी रचना से भी खुश नहीं थे।
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उन्हें कुछ कमी महसूस हो रही थी। तभी ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल अपने अंजलि में लेकर संकल्प (Oath) कर जल कुछ रखकर भगवान श्री विष्णु को ध्यान किया उनकी प्रार्थना से सुनकर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सामने प्रकट हुए उनकी समस्या देखकर भगवान विष्णु ने आदि शक्ति दुर्गा माता का ध्यान किया विष्णु जी के प्रार्थना पर भगवती दुर्गा मां तुरंत प्रकट हो गई।
ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी की बातों को सुनने के बाद आदि शक्ति दुर्गा माता के शरीर से श्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ ,जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरे हाथ में वर मुद्रा अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी उस देवी ने बीड़ा का नाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई। सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली देवी को वाणी की देवी “सरस्वती” कहा।
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सरस्वती देवी के अन्य नाम : OTHER NAMES FOR SARASWATI DEVI
सरस्वती देवी को Vagishwari, Bhagwati, Sharda, Veenavadni and Vagyadevi के नामों से पूजा जाता है। यह विद्या और बुद्धि प्रदाता है। संगीत की उत्पत्ति के कारण यह संगीत की देवी भी है। वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा होने लगी
विद्या की देवी, सरस्वती को क्यों कहते हैं? WHY IS GODDESS OF LEARNING CALLED SARASWATI?
सरस्वती पूजा के दिन भारत में ऐसी परंपरा है कि इस दिन माता पिता अपने बच्चों को पहला अक्षर लिखकर विद्या प्रारंभ कराते हैं। कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों भी इस दिन देवी सरस्वती की आराधना करते हैं।
सरस्वती पूजा के दिन भक्त देवी की पूजा करते समय यह कामना (Wish) करते हैं कि देवी सरस्वती उन्हें समृद्धि Prosperity प्रदान करें साथ ही उनके भीतर की अज्ञानता को दूर कर ज्ञान के प्रकाश का संचार करें माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है। यह दिन (Naveen Ritu) के आगमन का प्रतीक है।
इस दिन को श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन विद्या की देवी मां की आराधना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की भक्ति करने ध्यान व प्रार्थना करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है सभी विद्यालयों में आज के दिन ही प्रातः के समय सरस्वती देवी की पूजा की जाती है। सरस्वती देवी के कारण ही सभी प्राणियों में बोलने की शक्ति का विकास हुआ था।
वसंत ऋतु में प्रकृति : NATURE IN SPRING
वसंत का मौसम प्राकृतिक से हमें और पूरे पर्यावरण के लिए एक अच्छा उपहार है और हमें आनंद का संदेश देता है किसान बहुत खुश और सहज महसूस करते हैं क्योंकि वे कई महीनों के परिश्रम (Hardwork) के बाद नई फसलें लाते हैं फूलों की कलियां अपने पूरे जोश में खिल जाते हैं और प्रकृति का स्वागत अपनी अच्छी मुस्कान के साथ करती हैं।
सभी पेड़ों और पौधों को नया जीवन और नया रूप मिलता है क्योंकि वह अपनी शाखाओं पर नए पत्तियां और फूल विकसित करते हैं खेतों में फसलें पूरी तरह पक जाती है और हर जगह असली सोने जैसी दिखती है।
नई और हल्की पूरी पत्तियां पेड़ और पौधों की शाखाओं (Branches) पर लगना शुरू होते हैं। वसंत मौसम में पंछी (Sweet Song) गाने लगते हैं।
पूरी प्रकृति खूबसूरत दिखती हैं। ऐसा अनुभव होता है कि प्रकृति ने हर जगह प्राकृतिक हरियाली (Nature Greenery) के कारण खुद को हरी चादर से ढक लिया है। वसंत ऋतु सभी ऋतुओं का राजा है।
इस ऋतु में प्रकृति का अपने सबसे सुंदर रूप में दिखाई देती है और हमारे दिल को खुशी से भर देती है। इस मौसम में मन अधिक रचनात्मक (Creative) और अच्छे विचारों से भर जाता है। हर कोई इस मौसम का भरपूर आनंद लेता है और नया जीवन (New Life) महसूस करता है।
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