Economic Emergency in Hindi | आर्थिक वित्तीय आपातकाल क्या है? – हेलो दोस्तों SarkariExamHelp में आपका स्वागत है और आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि आर्थिक वित्तीय आपातकाल क्या होता है और यह कब लगाया जाता है? इससे देश कैसे प्रभावित होता है? तथा आर्थिक आपातकाल लगाने की क्या क्या वजह हो सकती है? आपातकाल कितने प्रकार के होते हैं? और आपातकाल कैसे स्थिति में लगाई जाती है? किसके द्वारा लगाई जाती है? इन सारे सवालों का जवाब हम आज अपने पोस्ट के माध्यम से आपको जानकारी देंगे। तो आज का यह पोस्ट पूरा अवश्य पढ़ें।
दोस्तों जहां एक तरफ पूरा विश्व कोरोनावायरस से जूझ रहा है। लगभग सभी देश आज इसकी चपेट में हैं और इससे होने वाले दुष्प्रभावों से जूझ रहे हैं, तो भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत भी अपना हर मुमकिन कोशिश कर रहा है कि इससे होने वाली प्रभाव को कम से कम किया जा सके। कोरोनावायरस के कारण जो भी देश में स्थिति पैदा हुई है, उससे कैसे निपटा जाए, सारी कोशिशों को करने में भारत सरकार जी जान से जुटी हुई है।
आपातकाल का अर्थ क्या होता है?
सबसे पहले तो हम आपको बता दें कि आपातकाल को अंग्रेजी में Emergency कहते हैं। अगर देश की बात करें तो इसका इस्तेमाल कब किया जाता है? जब देश को किसी आंतरिक व बाहरी आर्थिक रूप से किसी भी तरह का खतरा होता है या उसकी संभावना होती है।
आर्थिक आपातकाल क्या है?
वैसे तो अपने देश भारत में आज तक कभी भी आर्थिक आपातकाल की घोषणा नहीं हुई है। किसी के द्वारा भी यह लागू नहीं किया गया है। लेकिन भारत के संविधान में इसका वर्णन बहुत अच्छे से किया गया है और अच्छी तरह से से परिभाषित भी किया गया है। अनुच्छेद 307 के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा उस समय आर्थिक आपातकाल की घोषणा की जा सकती है।
जब देश में कोई भी ऐसा आर्थिक संकट मंडरा रहा हो जिसके कारण देश के वित्तीय स्थायित्व को खतरा पहुंच सकता है। यह खतरा पहुंच चुका है। भारत में अब तक राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शासन का इस्तेमाल हो चुका है। यह भारत के लिए अच्छी बात है कि राष्ट्रीय आपातकाल लगाने की नौबत कभी नहीं आई।
अनुच्छेद 35A (Article 35a) क्या है और इसके अदृश्य तथ्य ? जाने पूरी जानकारी हिंदी में
आर्थिक आपातकाल अनुच्छेद 360 का इस्तेमाल कब किया जाता हैं?
जब कभी भी देश में किसी कारण कोई आर्थिक संकट जैसी स्थिति विश्व में हालत पैदा हो जिसके कारण सरकार दिवालिया होने की कगार पर आ जाए या फिर किसी कारण देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से नष्ट होने की स्थिति में आ जाए।
ऐसे ध्वस्त स्थिति में आर्थिक आपातकाल के अनुच्छेद 360 का उपयोग किया जा सकता है जिससे कि देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। लेकिन 1978 के 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम में किए गए प्रावधान के अनुसार राष्ट्रपति की संतुष्टि न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है। अर्थात सुप्रीम कोर्ट यदि चाहे तो इस फैसले की समीक्षा कर सकता है। आर्थिक आपातकाल की स्थिति में देश के आम नागरिकों के पैसे और उसकी संपत्ति पर देश का ही अधिकार हो जाता है।
उत्तर प्रदेश में प्राइमरी शिक्षक और पुलिस की हजारों भर्तियां: जल्द जारी होगा नोटिफिकेशन
भारतीय संविधान में 3 तरह के आपातकाल का उल्लेख किया गया है, जिसके बारे में हम विस्तार से नीचे बता रहे हैं। आर्थिक आपातकाल को छोड़कर बाकी दोनों आपातकाल देश में पहले लागू हो चुके हैं। जब बात आपातकाल की हो रही है तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर आपातकाल कितने प्रकार के होते हैं, तो आगे हम आपको बताते हैं कि कितने तरह के होते हैं आपातकाल?
आपातकाल तीन प्रकार के होते है।
- राष्ट्रीय आपातकाल नेशनल इमरजेंसी अनुच्छेद 352
- राष्ट्रपति शासन स्टेट एजेंसी अनुच्छेद 356
- आर्थिक आपातकाल इकोनॉमिक इमरजेंसी अनुच्छेद 360
{*अर्थशास्त्र*} Economics Notes in Hindi For SSC PDF Download
राष्ट्रीय आपातकाल नेशनल इमरजेंसी अनुच्छेद 352
राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा देश में बहुत ही ज्यादा विकट परिस्थितियों में की जाती है। जब देश में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा होती है तो उसका आधार युद्ध बाहरी आक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा होता है। राष्ट्रीय आपातकाल को लागू करने के दौरान सरकार को असीमित अधिकार प्राप्त होते हैं और इन अधिकार का उपयोग सरकार की सरकार किसी भी रूप में किसी भी समय कर सकती है।
लेकिन इसके विपरीत देश के सभी आम नागरिकों के सभी अधिकार उनसे छीन लिए जाते हैं। राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा ही की जाती है। इस आपातकाल के लागू होने के बाद संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार अनुच्छेद 19 स्वता ही अपने आप निलंबित हो जाता है।
लेकिन अनुच्छेद 20 और अनुच्छेद 21 अपने अस्तित्व में बने रहते हैं। जब युद्ध के हालात हो जाते हैं यह विद्रोह बहुत अधिक बढ़ जाता है। तभी राष्ट्रीय आपातकाल की आवश्यकता पड़ती है। भारत में इंदिरा गांधी ने 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल लगवाया था।
UP Board Exam 2022 की परीक्षा में टॉपर कैसे बने, जाने एक्सपर्ट राय
राष्ट्रपति शासन स्टेट इमरजेंसी आर्टिकल 356 अर्थात अनुच्छेद 356
राज्य में राजनीतिक संकट को ध्यान में रखते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत जिस भी राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा होती है। उस राज्य में राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की स्थिति की घोषणा की जा सकती है। राज्य में राष्ट्रपति शासन तब ही लागू होता है।
Also Read:
जब उस राज्य की राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था पूर्ण रूप से असफल हो जाए या फिर वह राज्य केंद्र की कार्यपालिका के किंही निर्देशों का अनुपालन करने में असमर्थ हो जाता है।
इस तरह की किसी भी परिस्थितियों में राज्य की केवल न्यायिक कार्यों को छोड़कर राज्य के सभी प्रशासन अधिकार केंद्र सरकार अपने हाथों में ले लेती है। कुछ संशोधन के साथ इस आपातकाल की सीमा कम से कम 2 महीने और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक हो सकता है।
आमतौर पर ऐसा तभी होता है जब राज्य सरकार संविधान के मुताबिक सरकार चलाने में असफल हो जाए उस स्थिति में ही केंद्र की सिफारिश पर राष्ट्रपति संबंधित राज्य में आपातकाल की घोषणा करते हैं।
International Day of Forests 2022: यहां जानें इस दिन का इतिहास, विषय और महत्व
आर्थिक आपातकाल अनुच्छेद 360
जब कभी भी किसी देश में किसी भी कारण कोई आर्थिक संकट जैसे विषम हालात पैदा होते हैं जिसके कारण सरकार दिवालिया होने की कगार पर आ जाए या किसी देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से नष्ट या ध्वस्त होने की स्थिति में आ जाए। देश में भारी आर्थिक संकट पैदा हो जाता है तब यह सख्त कदम उठाया जाता है और देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा की जाती है।
जब देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा होती है तो देश की आर्थिक संकट के चलते वित्तीय स्वायत्तता को खतरा हो जाता है। कोई भी सरकार इतना सख्त कदम उठाने को तभी मजबूर होती है जब आर्थिक स्थिति बदतर होने लगती है और सरकार दिवालिया हो जाती है।
Lucent GK PDF {सामान्य ज्ञान 2022} Book Download
आर्थिक आपातकाल लागू होने पर देश की क्या स्थिति होती है?
यदि किसी देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा हुई है तो वहां के सभी कर्मचारियों की सैलरी और भक्तों में कटौती की जाती है यह कटौती इतनी होती है कि यह सरकार ही तय करती है।
दोस्तों कोरोना काल में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी। श्रीलंका के मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट आई थी जिसके कारण खाद्य कीमतों में भारी तेजी हो गई थी। हालात वहां के ऐसे थी कि चीनी चावल कई खाद्य सामग्री की कीमत आसमान छू रही थी। वहां संसाधनों की कमी के चलते लंबी लाइन लगाने के मजबूर हो गए थे।
जमाखोरी को इसका जिम्मेदार ठहराया गया था। व्यापारियों पर भी उंगलियां उठ रही थी। वहां की महंगाई को रोकने के लिए श्रीलंका की सरकार ने आर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी। यह आदेश मंगलवार 24:00 से प्रभाव में आ चुका था।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर आर्थिक आपातकाल में श्रीलंका की स्थिति कैसी हो गयी? श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा था कि जमाखोरी को रोकने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा की गई थी।
वहां के आयुक्त के रूप में एक पूर्व जनरल सेना को यह पावर दी गई थी कि वह खाद स्टाफ को जब करने और उनकी कीमतों को रेगुलेट करें।
Petrol Diesel Price Today: आज आपके शहर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें, क्या हैं, जानिए
आर्थिक आपातकाल के प्रभाव
किसी भी देश में आर्थिक आपातकाल के लागू होने पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं इस आपातकाल के दौरान केंद्र के कार्यकारी अधिकार का पूर्ण रूप से विस्तार हो जाता है। वह किसी भी राज्य को अपने अनुसार वित्तीय आदेश दे सकता है।
आपातकाल लागू होते ही राज्य के विधायिका द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए आए सभी धन्य देखो या अन्य वित्तीय विल को रिजर्व रखा जाता है।
आपातकाल के दौरान राज्य में नौकरी करने वाले सभी व्यक्तियों या वर्गों के वेतन और भत्ते में कमी की जाती है। इस दौरान राष्ट्रपति द्वारा निम्न व्यक्तियों के वेतन एवं भत्ते में कमी करने का आदेश दे सकते हैं।
संघ की सेवा करने वाले कर्मचारी या किसी भी वर्ग के व्यक्ति के वेतन भत्तों में कमी की जाती है। उच्च न्यायालय और अन्य न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन भत्तों में भी कटौती और कमी की जाती है।
कोरोनावायरस शुरुआती दौर में भी भारत में बहुत सारे सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटी गई थी। जिसे लोग आर्थिक आपातकाल कहने लगे थे। लेकिन डरने की कोई आवश्यकता नहीं भारत सरकार द्वारा ऐसी किसी भी आपातकाल की घोषणा की गई है और भविष्य में नहीं की जाएगी।
ऐसा हम उम्मीद करते हैं करोना काल के दौरान फैली अफवाह जिससे आर्थिक आपातकाल कहां जा रहा था वैसी पिक अफवाह है अरे ऐसी किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें।
आर्थिक आपातकाल कब तक लागू रहता है?
जिस भी देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा की जाती है वह उस देश के संविधान पर निर्भर करता है। किंतु भारत में राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा की जाती है। जिस दिन से राष्ट्रपति द्वारा आर्थिक आपातकाल की घोषणा होती है उसके 2 माह के अंदर ही इसको संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक होता है।
इस आर्थिक आपातकाल की घोषणा प्रस्ताव को संसद के किसी भी सदन द्वारा केवल एक साधारण बहुमत के माध्यम से ही पारित किया जा सकता है। एक बार यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया तब वित्तीय आपातकाल अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है।
इसे तभी हटाया जा सकता है जब इसे राष्ट्रपति हटा ना चाहे। यह राष्ट्रपति द्वारा अनिश्चित काल तक जारी रह सकता है और राष्ट्रपति द्वारा ही से हटाया जाता है।
Railway Group D Exam Date 2022 Notice Out – रेलवे ग्रुप D परीक्षा का पूरा विवरण
प्रावधान
इस प्रस्ताव के दो प्रावधान हैं आर्थिक आपातकाल की घोषणा को राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय रद्द किया जा सकता है।
इस प्रस्ताव के संचालन की कोई भी अधिकतम सीमा तय है। इस प्रस्ताव की निरंतरता के लिए बार बार संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं पड़ती।
आखिर किसी भी देश में आपातकाल की जरूरत ही क्यों पड़ती है
किसी भी देश या फिर उसके राज्य या किसी देश की आर्थिक स्थिति में आपातकाल को लागू करने का निर्णय तभी लिया जाता है जब उस देश या राज्य उस देश की आर्थिक स्थिति पर भारी संकट मंडरा रहा हो या कोई विकट परिस्थिति आ गई हो।
संविधान निर्माताओं ने आपातकाल जैसी स्थिति की कल्पना ऐसे समय को ही ध्यान में रखकर किया है जिससे देश की एकता अखंडता और उसकी सुरक्षा को किसी भी प्रकार का किसी से खतरा हो। जब कभी भी किसी भी देश की एकता अखंडता और सुरक्षा किसी खतरे में होती है तभी इन सभी को ध्यान में रखते हुए ऐसे प्रावधान को तैयार किया गया है।
जिसके तहत केंद्र सरकार बिना किसी रोक-टोक के देश की सुरक्षा और भविष्य हेतु गंभीर और कठोर कदम उठा सके। और देश हित में सख्त फैसले ले सके।
Indian Navy SSR & AA Recruitment 2022 – भारतीय नौसेना और आर्टिफिशियल अपरेंटिस भर्ती
भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधान जर्मनी के संविधान से लिए गए हैं भारत के संविधान में तीन प्रकार के आपातकाल ओं का वर्णन किया गया है। वित्तीय आर्थिक आपातकाल की घोषणा करना इतना आसान नहीं है किसी भी देश के राष्ट्रपति यदि संतुष्ट हैं कि देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण वित्तीय स्थिरता और उसके साथ या उसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की वित्तीय स्थिरता को खतरा है। तभी वह केंद्र सरकार की सलाह पर वित्तीय आपातकाल की घोषणा करता है और ऐसा ही प्रावधान भारत के वित्तीय आपातकाल अनुच्छेद 360 में भी है जो भारत में राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार देता है।
किंतु यह ध्यान रहे कि 1978 के 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति की संतुष्टि न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है इसका अर्थ यह है कि आज सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा कर सकता है।
ध्यान रहे कि वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा ही बाद में किसी भी समय से रद्द किया जा सकता है।
भारत ने इससे पहले 1991 में गंभीर वित्तीय संकट उत्पन्न हुआ था। इसके बावजूद भारत सरकार ने वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की इसलिए इस समय भी भारत सरकार सोच समझकर ही हर तरह का फैसला लेना चाहती है। हालांकि भारत में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरा देश एक साथ खड़ा है।
आप हमसे Facebook Page , Twitter or Instagram से भी जुड़ सकते है Daily updates के लिए.
इसे भी पढ़ें:-
- Indian Polity & Constitution {भारतीय राजव्यवस्था और संविधान} सामान्य ज्ञान प्रश्न {GK Questions}
- भारतीय इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी | Indian History GK Quiz
- भारतीय राजव्यवस्था सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी | Indian Polity GK Quiz in Hindi
- Indian Polity (भारतीय राजव्यवस्था) PDF Notes in Hindi For Competitive Exams (UPSC, SSC, Banking or Railway)
- Indian Political System General Knowledge Quiz | भारतीय राजनीतिक व्यवस्था सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
- Bihar Government Schemes List 2022 PDF | बिहार सरकारी योजना लिस्ट
- गणतंत्र दिवस पर निबंध 500 शब्दों में | Republic Day Essay in Hindi
- Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था) By Sanjeev Verma PDF Free Download
- भारतीय इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी | Indian History GK Quiz
- Indian Political System General Knowledge Quiz | भारतीय राजनीतिक व्यवस्था सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी