12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस | स्वामी विवेकानंद की 158वीं जयंती |12th January, 158th Birth Anniversary Of Swami Vivekananda |National Youth Day
12 जनवरी 2021 राष्ट्रीय युवा दिवस | 158th birth anniversary of Swami Vivekananda |National Youth Day in Hindi – देश की हिंदू धार्मिक भावनाओ एवं सांस्कृतिक धरोहर को विकास की ओर ले जाने वाले व्यक्तियों मे स्वामी विवेकानंद का नाम महत्वपूर्ण है। स्वामी विवेकानंद ने समाज मे फैले जातिवाद एवं वैषम्यावाद जैसी विचारधाराओं को समाज से निकाल फेंकने का प्रयास किया। देश के स्वतंत्र सेनानियों में इनका नाम भी लिया जाता है। जो अपने लिए नही वरन देश के लिए अपना जीवन व्यतीत किया।
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ऐसे महान व्यक्ति का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को बंगाल प्रांत के कलकत्ते में प्रसिध्द वकील विश्वनाथ दत्त के घर मे हुआ। शिव भक्ति से प्राप्त पुत्र का नाम उन्होंने वीरेष्वर रखा। वे सभी के प्रिय थे इसलिए उन्हें सभी प्यार से नरेन्द्र नाम से पुकारते थे । बचपन में नरेन्द्र की स्मरण शक्ति अत्यंत प्रखर थी और यह भी कहा जाता है की 7 वर्ष की आयु में उन्होंने बंगला मे रामायण पढ़ ली थी।
नरेन्द्र ने प्रेसीडेन्सी कॉलेज मे प्रवेश लिया, उन्हें अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं का अत्छा ज्ञान था, इसके साथ ही वे व्यायाम और कुश्ती में भी उनकी रुची थी। नरेन्द्र में धार्मिक भावना प्रबल थी वे ब्रम्ह समाज से जुड़ गए। पिता विश्वनाथ की मृत्यू के बाद उनकी आर्थिक स्थिती बिगड़ गयी।
सन्यास ग्रहणः Renunciation
सन् 1887 में नरेन्द्र के जीवन में परीवर्तन हुआ और उन्होने संन्यास ग्रहण किया। उनके तेजोस्मय रुप को देखकर लोग उनकी ओर आकर्षित हो जाते थे। सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि कन्याकुमारी से हिमालय तक घूम कर उन्होंने अपनी विव्दत्ता, तेज और ज्ञान से सबको प्रभावित किया।
विश्व भ्रमणः World tour
स्वामी विवेकानंद विश्व भ्रमण के दौरान अमेरिका के शिकागो नगर मे सर्वधर्म संम्मेलन मे संम्मिलित हुए। वहां संसार के सभी धर्मो के प्रतिनिधी आये हुए थे। वहां पर स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण मे – मेरे भाइयो और बहनो कह कर शुरु किया यह सुनकर लोग ताली बजाकर आनंद ध्वनि करने लगे। स्वामी विवेकानंद के भाषण ने हिंदू धर्म की विजय पताका विदेशों में फहराने लगी। स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व से प्रभावित कई शिक्षित लोग उनके कार्य मे सहायता करने के लिए सन्यासी हो गये।
वेदांत का प्रचारः Promotion of Vedanta
वे एक वेदान्ती थे उन्होने ईश्वर आत्मानुभूति सन्यास सृष्टि, आत्मा भक्ति, योग आदि पर अपने विचार अभिव्यक्त किये उन्होने वेदांतो के प्रचार के लिए रामकृष्ण मिशन मठ, वेदांत मठ की स्थापन की।
स्वामी विवेकानंद का कहना था – “ आध्यात्मिक उन्नती के पहले भौतिक उन्नति होनी आवश्यक है।“
स्वामी विवेकानंद का कहना था – “ भूखे पेट मनुष्य धार्मिक नही बन सकता |”
भारत देश धार्मीक आदर्शो से जगमगाता है स्वामी विवेकानंद ने भारत देश को आध्यात्मिकता का आदि स्त्रोत माना है। यह भारत देश ही है जहाँ धर्म को सच्चा और व्यावहारिक रुप प्राप्त हुआ है। भारत मे धर्म ही राष्ट्र का ह्दय है। स्वामी विवेकानंद का कहना था – “ हमें धर्म का आधार नही छोड़ना चाहिए।“
शिक्षा को महत्व दियाः Gave importance to education
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स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को महत्व दिया है। भारत देश को गरीबी का एक कारण उन्होंने अशिक्षा को माना है। शिक्षा केवल सूचना तक सीमित नही रहनी चाहिए। शिक्षा को व्यक्ति का लौकिक एवं आध्यात्मिक उन्नती करनी चाहिए, बालक खुद सीखता है केवल उसे प्रेरणा देनी चाहिए। शिक्षा से बालक का चारित्रिक, बुध्दि, मानसिक विकास होना चाहिए जिससे व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाये।
स्त्री शिक्षाः Women Education
स्वामी विवेकानंद ने स्त्री शिक्षा का भी बहुत अधिक समर्थन किया है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने ज्ञान को स्त्री और पुरुष मे समान रुप से बांटना है। स्त्री शिक्षा से ही मानव जाति का कल्याण हो सकता है।
स्वामी विवेकानंद ने नवयुवको को अपने पैरो पर खड़े होने का संदेश दिया है। सभी में राष्ट्रभक्ति एवं देश भक्ति की भावना होनी चाहिए साथ ही संमानवीय गुण होने चाहिए।
विद्यालय पाठ्यक्रम में स्वामी विवेकानंद ने वेदों के अध्ययन पर बल दिया है।
- पाठ्यक्रम सत्य आधारित होना चाहिए।
- सत्य ह्दय के अंधकार को दूर कर आत्म शक्ति प्रदान करता है।
- आत्मा एवं सत्य में संबंध होना चाहिए।
- बालक को मातृभाषा में शिक्षा देनी चाहिए उसके बाद विदेशी भाषा का ज्ञान देना चाहिए।
- बालक को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ संगीत की शिक्षा भी देनी चाहिए।
- पाठ्यक्रम मे भाषा साहित्य को भी संम्मिलित करना चाहिए।
“पाठ्यक्रम ऐसा हो जिससे बालक सदा आगे की ओर बढ़े। एकाग्रता शिक्षा प्राप्त करने का एक मात्र साधन है।“
स्वामी विवेकानंद ने नवयुवको को अपने पैरो पर खड़े होने का संदेश दिया है। सभी में राष्ट्रभक्ति एवं देश भक्ति की भावना होनी चाहिए साथ ही संमानवीय गुण होने चाहिए।
स्वामी विवेकानंद जी की विचारो ने भारत देश का मान बढ़ाया ऐसे इस महान विभूती ने 4 जुलाई 1902 मे बेलूर मठ मे समाधी ले ली।
General FAQs:
स्वामी विवेकानंद के माता का नाम भुवनेश्वरी और पिता नाम विश्वनाथ दत्त था।
स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।
स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे उन्होने वेदांतो के प्रचार के लिए रामकृष्ण मिशन मठ, वेदांत मठ की स्थापन की थी।
भुवनेश्वरी देवी
इनका जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को बंगाल प्रांत के कलकत्ते में प्रसिध्द वकील विश्वनाथ दत्त के घर मे हुआ था।
4 जुलाई 1902
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