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International Women’s Day 2024 – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, कब हुई इसकी शुरुआत और क्यों मनाया जाता है?

International Women’s Day 2024 – दोस्तों आज SarkariExamHelp आप सभी छात्रों के बीच “International Women’s Day 2024 in Hindi” की जानकारी शेयर कर रहा है. जो छात्र अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बारे जानकारी पढ़ना चाहते है, उन छात्रों को यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए. आपको इस लेख में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है?,भारतीय महिला दिवस कब मनाया जाता है? महिला दिवस किसकी याद में मनाया जाता है? आदि की जानकारी पढ़ने को मिलेंगी.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस,महिला जागरूकता और सशक्तिकरण का आयोजन है.  इसकी शुरुआत तब हुई जब 1857 में न्यूयार्क शहर में पोशाक बनाने वाले एक कारखाने की महिलाएं अपने समान अधिकारों, काम करने की अवधि में कमी, कार्य अवस्था में सुधार की मांग करते हुए जुलुस निकाल कर सड़कों पर उतर आयी थीं. 

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Day of Honor

International Women's Day 2024 - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, कब हुई इसकी शुरुआत और क्यों मनाया जाता है?
International Women’s Day 2024 – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, कब हुई इसकी शुरुआत और क्यों मनाया जाता है?

यह दिन महिलाओं के प्रति सम्मान,  प्रशंसा, प्यार प्रकट करते हुए शैक्षणिक, आर्थिक, राजनितिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.  पूरी दुनिया में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है, समाधान खोजे जाते है और संकल्प लिए जाते है. जानकारी और जागरूकता महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव मिटाने के सबसे बड़े हथियार है.  

Women Will Be Self Reliant

सन्न 1910 में महिलाओं की समस्याओं के समाधान हेतु बीजिंग में एक विश्व सभा बुलाई गयी थी.  उसी दिन की स्मृति में प्रतिवर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था.  शिक्षा पाकर लड़कियाँ आर्धिक रूप से आत्मनिर्भर बनेगी तो आर्धिक आजादी के साथ ही समानता की भावना भी पनपेगा. महिलाओं में अधिकारों के प्रति जगरुकता जरुरी है.  तभी वे अपनी सुरक्षा कर पाएंगी, तब समाज, पुलिस और कानून भी उनकी मदद करेगा.  

The Day Of Women’s Rights And Importance

महिलाओं की सुरक्षा,कल्याण एवं सुरक्षित मातृत्व को लेकर अनेको योजनाए तैयार की जाती है.  इस दिशा में कई संस्थाएं कार्यरत है, परन्तु सफलता तभी मिलेगी जब महिला अपने अधिकारों के प्रति सजग हो कर पहला कदम खुद बढ़ाए.  आज महिलाओं को अधिकार और महत्व देने का दिन है.  

भारत में महिलाओं से सम्बंधित अनेक मुद्दे जीवित है और अनेक पैदा हो रहे हैं. भारतीय महिलाओं की स्थिति पर ध्यान दे तो असंतुलित चित्र सामने आते हैं. एक तरफ महिलाये अपनी मेघाशक्ति,  दृढ़ संकल्प के बल पर धरातल से आसमान तक की ऊंचाइयों को छू कर अपनी प्रवीणता अर्जित कर रही है तथा देश को गौरान्वित कर देश की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ा रही है.  यह एक गौरवान्वित बात ( चित्र ) है. दूसरी तरफ सोंचे तो दूसरा ( चित्र ) चिंतित और सोचने पर मजबूर कर देता है. जंहा ना वह जन्म से पहले सुरक्षित है, ना जन्म के बाद.  आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता हो रही है. रोज ही अखबारों और न्यूज में पढ़ते हुए देखते है कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़, सामूहिक बलत्कार की घटनाएं हो रही है. ऐसी घटनाओं को सुनकर दिल और दिमांग दोनों कौंध जाते है, माथा शर्म से झुक जाता है और दिल दर्द से भर जाता है.  महिलाएं पुरे देश में असुरक्षित है.  

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There Is A Sense Of Dedication In Women

नारी के सम्मान और अस्मिता की रक्षा के लिए लिए इस पर विचार करना बेहद जरुरी है और रक्षा करना भी.  इसे नैतिक पतन कहा जा सकता है. शायद ही कोई दिन हो जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार न हो.  अधिकतर महिलाएं कोल्हू के बैल की तरह घर परिवार में ही खटती रहती है और अपने अरमानों का गला घोट देती है.  परिवार की खातिर अपना जीवन बिताने में भारतीय महलाएं सबसे आगे है.  

माँ, बहन, बेटी,पत्नी,सखी, प्रेमिका,शिक्षिका हर रूप में करुणा, दया, सैंक्शन, परवाह, सादगी की अपार शक्ति है नारी,  जिसने अंधेरों में सिमटी ना जाने कितनी जिंदगीयों को योद्धा बनाया है. मेरी नजर से देखें तो मुझे सिर्फ महिलाओं में दिखाई देता है समर्पण.  

समर्पण प्यार का,  समर्पण दुलार का, समर्पण सेवा का, इसके समर्पण भाव से सृष्टि भी तृप्त है.  हम आभारी है, कर्जदार है, महिला समर्पण के दुलार के, प्यार के. नारी शक्ति का दिन है.  स्वयं को पहचान और नमन कर आगे बढ़ती चलो, ठोकर मार जो सम्मान न करे. नागरिक, समाज, और सिस्टम के तौर पर एक  जिम्मेदारी हमारी बनती है कि इनके संघर्षपूर्ण जीवन को और कठिन न बनाएं. समाज की नींव और जीवन का रूप नारी की प्रतिभा को सम्मान और सुरक्षा दें.  

सन्न 1910 में महिलकाओं की समस्याओं के समाधान हेतु बीजिंग में एक विश्व सभा बुलाई गयी थी.  उसी दिन की स्मृति में प्रतिवर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है. इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था.

जिसने बस त्याग ही त्याग किए, जो बस दूसरों के लिए जिए.  

फिर क्यों उसको धिक्कार दो,  उसे जीने का अधिकार दो || 

|| महिला दिवस की शुभकामनाएं || 


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